हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। चीन की भाषा मंदारिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी बोलने वाले लोगों की आबादी तीसरे स्थान पर है। हिंदी भारत की संस्कृति की संवाहक है इसलिए 14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य हिंदी को बचाए और बनाए रखना है। भारत में अंग्रेजों के आने के बाद से अंग्रेजी का चलना बढ़ा है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वजह से हिंदी की अनदेखी भी हो रही है। इसे रोकने के लिए ही हिंदी दिवस मनाया जाता है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन भारत में 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाते हैं।
महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश भी की थी। हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा आज तक नहीं मिल सका है, लेकिन हिंदी हमारी राजभाषा जरूर बन चुकी है।
14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था। इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हालांकि साल 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था। आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
भारत में अंग्रेजों के आने के बाद सभी सरकारी काम अंग्रेजी में होने लगे थे। अंग्रेजों के जाने के बाद भी कई काम अंग्रेजी में ही होते हैं। हिंदी दिवस पर सभी कार्यालयों में अंग्रेजी की बजाय हिंदी में काम करने की सलाह दी जाती है। हिंदी दिवस पर यह समझाने की कोशिश की जाती है कि जब तक आप पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी का विकास होना संभव नहीं है।
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